Ved kitne hain: कोई भी व्यक्ति जब कोई अनुष्ठान या धार्मिक कार्य करता है तो वह अपने वेद और पुराणों में वर्णित नियमों के आधार पर करता है कई बार लोग पूजा पाठ, हवन, रीति-रिवाजों के अनुसार करते है यह तो आपने सुना होगा।
भारत ही एक ऐसा देश है जिसमें उसकी संस्कृति, संस्कार और सभ्यता उसमें समाहित होते है। वेद सृष्टि पर आधारित एक ऐसा ज्ञान का भंडार है जो पिछले कई पीढ़ियों से मनुष्य का मार्गदर्शन करता आ रहा है।
आज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे वेद क्या है, वेद का महत्व क्या है, वेद का अर्थ क्या है, वेद कितने हैं (Ved kitne hain) और उपवेद कितने हैं, वेद को किसने लिखा है, वेद के रचयिता कौन है, गायत्री मंत्र का उल्लेख किस वेद में किया गया है, महामृत्युंजय मंत्र का उल्लेख किस वेद में है? ऐसे बहुत से वेद से संबंधित जानकारियां इस आर्टिकल में आपको देखने को और जानने को मिलेगी तो आप इस आर्टिकल को ध्यानपूर्वक पूरा अवश्य पढ़ें।
वेद क्या है – Ved Kya hai
पवित्र वेद विश्व का सबसे प्राचीन ग्रंथ होने के साथ-साथ भारत का पवित्र साहित्य भी है। यह हिंदुओं का धर्म ग्रंथ होने के साथ-साथ प्राचीनतम एवं आधारभूत ग्रंथ भी माना जाता है। इसी ग्रंथ के आधार पर दुनिया में अनेकों धर्मों के उत्पत्ति हुई और जो इसमें ज्ञान वर्णित है इसी के आधार पर सभी धर्म अपनी अपनी भाषा में इसका प्रचार प्रसार कर रहे है।
वेद और पुराणों में लिखे अनमोल ज्ञान के माध्यम से ही मनुष्य को आध्यात्मिक जीवन जीने की प्रेरणा प्राप्त होती है। वेदों में लिखे ज्ञान के द्वारा ही व्यक्ति के जीवन में शांति और दूसरों के प्रति मदद करने की भावना व धैर्य रखने जैसे अनमोल ज्ञान की सीख मिलती है।
ऐसा माना जाता है कि वेद अपौरुषेय है और इसमें वर्णित ज्ञान को श्रुति भी कहा जाता है श्रुति का मतलब यह होता है कि ऋषि मुनियों को जो ज्ञान प्राप्त हुआ है वह भगवान से सुनकर प्राप्त हुआ है। प्राचीन भारत और हिंदू जाति के बारे में ऐसा माना जाता है कि ऐतिहासिक रूप से वेदों को ज्ञान का स्रोत माना जाता है।
पवित्र वेद में ज्योतिषी शास्त्र, औषधि गुण, विज्ञान, भूगोल, धर्म, सृष्टि व संगीत आदि अनेकों प्रकार के ज्ञान वर्णित या लिखा हुआ है।
वेद का अर्थ – Ved Ka Arth
वेद शब्द का जन्म संस्कृत भाषा के विद धातु से हुआ है जिसका अर्थ “जानना” होता है यानी कि वेद का हिंदी में मतलब “ज्ञान” है। आपको बता दें वेद का ज्ञान अनंत है मतलब “जिसका कोई भी अंत नहीं_ है। वेदों में लिखा गया ज्ञान बहुत ही बहुमूल्य है जो कि मनुष्य जीवन के उत्थान के लिए महत्वपूर्ण है। वेदों के ज्ञान को समझ कर व्यक्ति अपना जीवन में सुखमय बना सकता है।
वेद के रचयिता कौन है – Ved ke Rachayita
पवित्र वेद के रचयिता महर्षि वेद व्यास जी (Maharishi ved vyas) को माना जाता है महर्षि वेद व्यास का पूरा नाम महर्षि कृष्णद्वैपायन वेद व्यास है। ऐसा माना जाता है कि महाभारत ग्रंथ की रचना वेद व्यास जी द्वारा रचित है।
ऐसा भी माना जाता है कि पवित्र वेद का केवल हिंदी अनुवाद ही महर्षि वेद व्यास (Maharshi ved vyas) ने किया है इस ग्रंथ के असली रचयिता कोई और है।
वेद कितने है – Ved Kitne hai
पवित्र वेद को कुल 4 भागों में विभाजित किया गया है जिसका संक्षिप्त वर्णन आप नीचे देख सकते है।
1. ऋग्वेद (Rigveda)
पवित्र वेद ग्रंथ के पहले भाग का नाम ऋग्वेद (Rigveda) है और यह पद्यात्मक रचना है। इस भाग में विभिन्न प्रकार के देवी देवता का वरदान देखने के साथ साथ ईश्वर की प्रार्थना स्तुति भी लिखी गई है।
ऋग्वेद (Rigveda) में देव लोक में देवताओं की क्या स्थिति है इस विषय में वर्णन किया गया है इसमें कुल 10 अध्याय 10462 मंत्रों के साथ-साथ 1024 सूक्तियां हैं। इस भाग का मूल आधार ज्ञान है।
2. यजुर्वेद (Yajurveda)
पवित्र वेद का दूसरा भाग यजुर्वेद (Yajurveda) है इसकी भी रचना गद्दे आत्मक है यजुर्वेद का हिंदी में मतलब यह होता है यज्ञ। इसमें अग्नि के माध्यम से देवताओं को दी जाने वाली आहूतियो के बारे में विस्तृत रूप से वर्णन मिलता है।
यजुर्वेद (Yajurveda) में कुल 40 अध्याय और 1975 गत्यात्मक मंत्र लिखे मिलते हैं इसको मुख्य रूप से दो भागों में बांटा गया है जिसका पहला पक्ष कृष्ण और दूसरा पक्ष शुक्ल है। इस ग्रंथ को कर्मकांड प्रधान ग्रंथ माना गया है इसमें आर्यों की सामाजिक एवं धार्मिक जीवन शैली के बारे में विस्तार से व्याख्या की गई है।
3. सामवेद (Samaveda)
पवित्र वेद का तीसरा भाग सामवेद (Samaveda) है इस भाग्य संगीत का वर्णन किया गया है। साम का अर्थ ही संगीत या गान होता है। इस भाग में लिखे इस लोक संगीत में हैं.
सामवेद (Samaveda)में मुख्य रूप से उपासना को प्रमुखता दी गई है इस भाग के ज्यादातर श्लोक ऋग्वेद से लिए गए हैं इसमें 27 अध्याय और 1875 संगीतमय मंत्र हैं।
4. अथर्वेद (Atharvaveda)
पवित्र वेद का चौथा और आखिरी भाग अथर्ववेद (Atharvaveda) है अथर्व का हिंदी में मतलब अभिचार होता है यानी यह अभिचारों का वेद है। किस भाग में रहस्यमई विद्वानों और उनके द्वारा किए गए चमत्कारों व आयुर्वेद का ज्ञान समाहित है जो कि व्यक्ति के सांसारिक सुखों की प्राप्ति के लिए बहुत ही उपयोगी साबित होता है।
अथर्ववेद (Atharvaveda) में रोगी को किस प्रकार ठीक किया जाना है धन की प्राप्ति के लिए क्या किया जाए पापों के प्रभाव को कैसे दूर किया जाता है वशीकरण प्रेम जादू टोना विवाह आदि के बारे में वर्णन किया गया है। इसमें आरोग्यं धर्म के लिए 20 अध्याय और 5977 कविता मंत्र वर्णित है इस वेद के दो भाग हैं पहला पिप्पलाद और दूसरा शौनक है।
वेद के अंग – Ved ke Ang
पवित्र वेद के कुछ अंग भी हैं इन्वेद के अंग को वेदांग कहां जाता है वेद के कुल छह अंग हैं जो नीचे लिखे गए हैं।
- शिक्षा
- कल्प
- निरुक्त
- व्याकरण
- छंद
- ज्योतिषी
उपवेद कितने है – Upved Kitne hain
जिस प्रकार पवित्र वेदों के चार भाग है उसी प्रकार चार वेदों की शाखाओं रूपी निकले ज्ञान को उपवेद कहते हैं। पवित्र वेद की चारों भाग से यानी चारों वेदों की प्रत्येक शाखा से एक एक उपवेद होता है जिनके नाम आप नीचे देख सकते हैं।
1. आयुर्वेद (Ayurveda)
आयुर्वेद का संबंध चिकित्सक है यह ऋग्वेद का उपवेद है आयुर्वेद में दो शब्द हैं पहला आयु और दूसरा वेद इसका सीधा सा मतलब है जीवन जीने का बोध आयुर्वेद में है।
2. शिल्पवेद (Sthapatyaveda)
शिल्प वेद शिल्प कला का शास्त्र है और यह अथर्ववेद का उपवेद भी है इसमें व्यक्ति को कलाकारी की जानकारी प्राप्त होती है जैसे किसी चीज का निर्माण या शिल्प ज्ञान संबंधित जानकारी इसमें वर्णित है।
3. गंधर्ववेद (Gandharva veda)
गंधर्व वेद सामवेद का उपवेद है गंधर्व वेद का हिंदी में मतलब संगीत होता है इसमें लाए स्वर ताल रागिनी आदि का वर्णन देखने को मिलता है इस ग्रंथ में भरतमुनि का नाट्यशास्त्र को भी एक अंग माना गया है।
3. धनुर्वेद (Dhanurveda)
यजुर्वेद का उपवेद धनुर्वेद है इसमें सैन्य ज्ञान व धनु विद्या के ज्ञान का वर्णन किया गया है। धनुर्वेद का उल्लेख महाभारत में भी देखने को मिलता है।
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Ved Kitne Hain Faq
सबसे पुराना/प्राचीन वेद कौन सा है?
सबसे पुराना/प्राचीन वेद ऋग्वेद को माना गया है।
वेद कितने होते है?
वेद कुल 4 है– ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्वेद
किस वेद में योग का उल्लेख किया गया है?
ऋग्वेद में योग का उल्लेख देखने को मिलता है।
गायत्री मंत्र किस वेद में है?
गायत्री मंत्र ऋग्वेद में वर्णित है।
वेद किसने लिखा था?
वेदों की रचना महर्षि वेद व्यास ने की थी।
महर्षि वेद व्यास कौन है?
महर्षि वेदव्यास हिंदू धर्म की पवित्र पुस्तक वेद और महाभारत जैसे बड़े ग्रंथ के रचयिता माने जाते हैं।
महामृत्युंजय मंत्र किस वेद में है?
महामृत्युंजय मंत्र का उल्लेख कुछ भाग ऋग्वेद में है और कुछ भाग यजुर्वेद में है।
पंचम वेद किसे माना गया है?
पंचम वेद महाभारत को माना गया है